“गुरुवर वाल्मीकि ने ज्ञान की गंगा बहाई है,
संसार ने उसमें डुबकी लगाई है.”
गोसाईगंज नगर पंचायत अध्यक्ष निखिल मिश्रा जी ने बताया कि आज महर्षि बाल्मीकि जी की जयंती के शुभ अवसर पर नगर पंचायत गोसाईंगंज में बाल्मीकि समाज के लोगों द्वारा महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमा स्थापना कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें सम्मिलित होकर महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमा पर माल्यर्पण कर मिष्ठान वितरण कर बाल्मीकि जयंती मनाई गई .
बताते चले कि महाकाव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि के तौर पर प्रसिद्धि मिली थी. ऋषि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण की रचना की थी जिसके बाद उन्हें महर्षि की उपाधि मिली थी. महर्षि वाल्मीकि ने रामायण संस्कृत में लिखा था जिस चलते उन्हें संस्कृत के पहले कवि या कहें संस्कृत के आदिकवि के रूप में भी जाना जाता है.
माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का नाम रतनाकर हुआ करता था. वे डाकू थे और वन में रहकर लोगों को लूटकर परिवार का पालन-पोषण करते थे. जब उन्होंने नारद मुनि को लूटने की कोशिश की तो नारद मुनि ने उन्हें शिक्षा दी जिससे उनका ह्रदय परिवर्तन हुआ. इसके बाद ही वाल्मीकि तपस्या में लीन हुए. चींटियों ने उनके शरीर पर चढ़कर बांबी बना ली जिस चलते उनका नाम वाल्मीकि पड़ गया. आगे चलकर उन्होंने रामायण की रचना की थी. महर्षि वाल्मीकि ज्ञान का सागर थे.